Sunday 24 September 2017

भारतीय रिज़र्व बैंक और माहात्मा गांधी

     डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकरजी कि १९२३ में "द प्रोब्लम ऑफ़ रूपी" यह ३०९ पेज वाली किताब प्रकाशित हूई है । जो दुनियां के सारे आर्थशास्त्रीयों का संशोधन का स्त्रोत है ।अमेरिका जैसा देश आज इस किताब के बलबूते ही आज दुनियां में आर्थिक महासत्ता बना है । बाबासाहब के इस उपकारों को हमेशा के लिये याद रखने के लिये अमेरिका ने अपने देश में स्थित दुनियां कि सर्व श्रेष्ठ कोलंबिया युनिवर्सिटी में डॉक्टर बाबासाहब आंबेडकरजी का स्टेच्यू अमेरिका के अध्यक्ष मा.बराक ओबामा के हस्ते लगवाया है । जो हम भारतीय के लिये एक असाधारण गर्व कि बात है । डॉक्टर बाबासाहब आंबेडकरजी ने अपने इस किताब में "भारतीय रिज़र्व बैंक " निव रखी है । इस किताब में उन्होंने भारतीय रिज़र्व बैंक के कार्यप्रणाली को नियमबध्द किया है ,जो एक अदभूत और अविश्वसनीय कार्यप्रणाली कि मिसाल है । यह सारी दुनियां को और दुनियां के अर्थशास्त्रीयों को हैरान करनेवाली किताब मात्र उन्होंने २५ वर्षों के उम्र में लिखी है ,जो स्कूल का प्रबंध था ,जो आगे चलकर पूस्तक के रूप में प्रकाशित हूवा है । भारतीय रिजर्व बैंक भारत का केन्द्रीय बैंक है। यह भारत के सभी बैंकों का संचालक है। रिजर्व बैक भारत की अर्थव्यवस्था को नियन्त्रित करता है। भारतीय रिज़र्व बैंक कि स्थापना १ एप्रिल १९३५ को हूई है । जीसकी आधारशिला बाबासाहब डॉक्टर भिमराव आंबेडकरजी ने रखी है । भारतीय रिज़र्व बैंक कि स्थापना १९३४ के एक्ट नुसार ब्रिटिश शासन में हूई है । जीसका मुख्यालय कोलकाता में था उसे स्वतंत्रता के बाद । मुंबई में स्थानान्तरीत कर दिया है । इसके पहले भारत देश में बैंकऑफ बंगाल ,बैंक ऑफ कोलकात और बैंक ऑफ़ बॉम्बे यह तीन बैंक कार्यरत थी जीसे रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया कि स्थापना के बाद समाप्त कर दिया है ।
   आपने देश कि जनता और सरकार के लिये यह शर्म कि बात है कि जीस बाबासाहब डॉक्टर भिमराव आंबेडकरजी ने रिज़र्व बैंकऑफ इंडिया स्थापना कि है उस महान व्यक्ति के नाम का रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया के इतिहास में उल्लेख भी नही है । पर सारे गर्वनर ,उप गर्वनर और सारी दुय्यम दर्ज के लोगो के फोटो के साथ नामोल्लेख भी है । 
   आप बाबासाहब का "द प्रोब्लम ऑफ रूपी"आवश्य पढ लेना तब जाके आपको भारतीय राज नेता कितने जातीयवादी और हल्के विचारों के है इस बात का पता चल जायेगा । अब ऐसे भेदभाव करने वाले लोग के हातो में सरकार है तो भारत के चलन पर भेदभाव करने वाले मोहनदास करमचंद गांधी कि नही तो क्या नोलेज ऑफ सिम्बोल बाबासाहब आंबेडकर कि आयेगी ?
(माहाआचार्य मोहन गायकवाड)

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