Monday 4 September 2017

नई सरकार का जनता से संघर्ष ।

   देश कि नई सरकार जनता को बड़े बड़े सपने दिखाकर सरकार में आयी है । २०१४ में भारतीय जनता पार्टी ने देश कि जनता के सामने अपना मैन्यूफेस्टो पेश किया और टिवी ,प्रिंट, सोशियल मीडिया और समविचारी संघटनाओं के माध्यम से जोरशोर से उसका प्रचार भी किया था ।परिणाम यह हूवा कि इस प्रचार के बाढ में अच्छे अच्छे लोग बह गये । भाजपा ने प्रिंट,इलक्ट्रोनिक मीडिया खरीद कर और सोशियल साइट पर पगारी लोग लगाकर कोंग्रेस के खिलाफ बड़े पैमाने पर धुम मचाई थी। लोगों को अच्छे वादो कि खैरात और कोंग्रेस के काले कामो कि रोज सभी मीडिया पर हेडलाइन चल रही थी । इस कि वजह से जनता को भी मजबूर होकर मीडिया के सूरों में सूर मिलने पड़े थे । जनता को मानो नई सरकार द्वारा भारत देश में स्वर्ग आने कि संभावना पल्लवित हूई थी। हर भारतीय के बैंक अकाउंट में १५/१५ लाख आनेवाले थे ।हर एक को घर मिलने वाला था । सभी कि गरीबी दुर होनेवाली थी ।देश स्मार्ट सिटी बनाने वाला था ।समान नागरिक कायदा आनेवाला था ।कश्मीर पर कि धारा ३७० हटाने वाली थी ।किसानों कि आत्महत्याऐ रूकनी वाली थी ।आतंकवाद खत्म होनेवाला था ।नक्षलवाद खत्म होनेवाला था ।सभी को शिक्षा और सभी को काम मिलने वाला था ।यह सब १००/२०० दिन में होनेवाला था।। यू मानो कि भारत देश एक सोने कि चिड़िया बनाने जा रहा था ।
   ईलक्शन हूवा नई सरकार आई और भाजपा ने अपने मैन्युफेस्टो को तुरंत श्रध्दांजली अर्पित कर दी और देश में गोमाताने भयानक रूप धारण किया है ।तलाक कि तलाश चालू हूई ।नोटबंदी हूई फिर भी। ना आतंकवाद रूका ना नक्षलवाद ।ना स्मार्ट सिटी बनी ना गरीबी हटी । ना लोगो को घर मिला ना रोजगार ।ना किसानों कि आत्महत्या रूकी ना महिलाओं पर के बलात्कार और न अत्याचार रूके । हूवा तो कुच्छ नहीं उल्टा पहले से भी जादा देश का माहौल बिगड़ गया है ।
  नोटबंदी से सर्वसामान्य जनता का जनजीवन उध्वस्त हो गया है । एक तो देश कि जनता में शिक्षा का अभाव है ।कुच्छ जनता अशिक्षित है ।ऐसे जनता पर प्रगत राष्ट्र का डिजिटल व्यावहार थोपना कितना योग्य था?  अपने देश में असंघटित कामगारों का भरना बहोत बड़े पैमाने पर है । जो रोज कि रोख रोजनदारी करते है ।ऐसे लोगो को डिजिटल पैसो से क्या लेना देना है जिनको हातके पैसे नही समझते है ? नोटबंदी से मार्केट का पैसा कम होने के कारण मजदूरो को मिलनेवाली मजदूरी पर बडा आसर पडा है ।जिनको रोज के ५०० ₹ मिलते थे ,अब मजबूरी से ३०० ₹रोजके लेने पड रहे है और उपर से जिएसटी के वजह से महंगाई बढ गई है । देश का जिडीपी घट गया है ।काले धन कि वजह से काले धन वाले का नही लेकिन इमानदार लोगो का बहुत बड़ा नुकसान हूवा है । रोजगार घट गया है ।नौकरिया छिन गई है ।और सरकार के मंत्री खुषीयो के मारे दुनिया भर के दौरे कर के देश पर कर्ज का बोझ बढ़ा रहे है । सरकार का एकमात्र उद्देश्य है कि देश के कोर्पोरेट सेक्टर को फायदा पहूचाके आनेवाले २०१९ के ईलक्शन को जितना है । क्योंकि २०१९ में यही कोर्पोरेट वाले ईलक्शन में जनता को पैसे ,दारू, खाना ,कपड़ा बाटने में भाजपा को मदत करेंगे और ईलक्शन जितवायेंगे । यह सब मिलने पर जनता भी नशे में नोटबंदी के साथ सारे दर्द भूल जायेगी ।
(माहाआचार्य मोहन गायकवाड)

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