Wednesday 4 April 2018

काली विद्या के शिकार

   अपने देश में भला ही संविधान लागू है । पर संविधान तो बस नाम के लिये है।जिसके बलबूते मनुवादी लोग अपनी सरकार तो बनाते है लेकिन अपने देश के ना संविधान को मानते है ना झेंडे को । फिर भी वही लोग आज देशभक्त है । यही लोग देशभक्ती के नामपर जनता पर अन्याय आत्याचार करके भारतीय संविधानने दिये हूये आधिकार छिन रहे है। इसका मतलब अपना देश आज भी वर्ण व्यवस्था और जातीवाद के भेदभावपूर्ण मानसीकता से वेद,भेद के अमानवीय संकल्पनाओ पर मजबूती की हावाओं के दिवारोंपर खड़ा है । जिसे धर्म के कर्मठ और कट्टर मानसिकता में  बांध रखा है । वेद शास्त्र पूरनों की वर्ण और जाती यह उत्पत्ति है । जीसेने भारतीय लोगो को अलग अलग वर्ण और जाती में बाटकर उनके अधिकार छिन लिये है । जो एक दुसरे को निच्घ दिखाने का अपमान करने का और आधिकार छिन्ने का वेद और शास्त्रों द्वारा निर्मित एक अमानवीय नियम है । जिसे हमें दुसरों पर आजमाने पर मजा आता है । यह आसूरी आनंद की वैदिक विद्या का भारतीय लोग शिकार है । इसे धर्म कहने के कारण इसका पालन करना हर एक की मजबूरी बनी है । इस भेदवाले आसूरी चक्र को भेदना कोई सामान्य लोगो के बस की बात नही है । ईसकेलिये उच्च कोटी की बुध्दिमत्ता की आवश्यकता होती है । सर्वसामान्य। लोग तो इसके बारेमें सोच भी नही सकते है ।
      इस वर्णभेद का जिसने भी अंगिकार किया है। वह मानव से दान कभी भी बन सकता है ।क्योकि दानव बन्ने के लिये जो भी गुण लगते वह सब के सब इसमें मौजूद है ।
     चातुर वर्ण व्यवस्था में १)ब्राह्मण२) क्षत्रीय३) वैष्य और ४)शूद्र है । क्षत्रीयोने ब्राह्मण को हर प्रकार से प्रताड़ित करने की वजह से परशुराम का खुन खौल गया और कसम खाई की मै क्षत्रियों को पूरे पृथ्वी से मिटाकर ही रहूंगा ।
    ईसीलिये परशुरामने २१ बार क्षत्रियों को पिटपिटकर मारा है । और पूरे पृथ्वी को निक्षत्रीय बना दिया है । क्योंकि परशूराम को क्षत्रियों के प्रती बहोत बूरी तरहसे मन में नफरत पैदा हूई थी । ईसीलिये आज भारत देश में केवल तीन ही वर्ण बचे है और ब्राह्मण वैष्यो में रोटी बेटी व्यावहार होने के कारण केवल दोही वर्ण बचे है । और वह है ब्राह्मण और शूद्र ।
  अब दिक्कत यह है की ब्राह्मण तो खुदको ब्राह्मण तो समझता है पर शूद्र आज भी खुदको शूद्र नही मानता है । फिर भी वह खुदको हिन२ धर्म का एक भाग समझता है । और धर्म कहता है के जो अपने वर्ण का पालन करता जो बोला गया वह करता है केवल वही धार्मिक है और धर्म का हिस्सा भी है । और जो वर्ण वेद शास्त्र पूरानोने बताये है उनके हिसाब से जो चुपचाप स्विकार करता है वही धर्म में रहने के लायक है वर्णा वह धर्म द्रोही है । वह धर्म के खिलाफ है और उसे धर्म में रहने का कोई भी आधिकार नही है ।
  अब सवाल यह है के जब शूद्र खुदको शूद्र मान्ने के तयार नही है तो वह हिन२ धर्म हिस्सा कैसे हो सकता है ? यह तो सरासर धर्म द्रोह धर्म के खिलाफ है ।
     अगर १५% ब्राह्मण वैष्यो को छोडदे तो बाकी ८५% लोग शूद्र वर्णो में आते है ।
८५% लोग हिन२ कैसे नही है ? इस सवाल का जवाब ढुंढते है । जो एक अहम बात है ।जो खुदको शूद्र याने चातुर वर्ण व्यवस्था का हिस्सा नही समझते है वह अगर  वर्ण व्यवस्था का हिस्सा नहीं समझते है तो उनको क्यों जबरदस्ती ब्राह्मण हिन२ समझ रहे है?। इसपर थोड़ा प्रकाश डालते है । जिसें आपण मूद्दों के रूप में देखेंगे । अगर सभी सवालों का जवाब चाहिए तो कुच्छ ऐतिहासिक और कुच्छ वर्तमान के सवाल देखना जरूरी है । जिससे सारा चित्र साफ और स्वच्छ हो जायेगा ।
१) दिवोदास:दिवोदास राजा यह ओ राजा है । जो मूल भारतीय होने के साथ साथ उन्होंने सबसे पहले वैदिक लोगोसे खैबर खिंडी में चालीस साल तक बडा घनघोर युध्द किया और उनको खैबर खिंडी में रोखा था । हर्रपा मोहनजोदड़ो में संस्कृत भाषा का कोई भी नामोनिशान ना होने के कारण यह युध्द हर्रपा मोहनजोदड़ो इस मूल भारतीय सभ्यता विकसीत होने के बाद का यह समय है । तो इस बातसे साबित होता है की वैदिक संस्कृती यह भारतीय द्रविड़ सभ्यता पर किया हूवा एक विदेशी आक्रमण है । लोकमान्य टिलकने अपनी "दि आर्टिक होम इन वेदाज" इस किताब मे बहोत सारे सबूतों के साथ साबीत किया है की वैदिक लोग की मूल भूमी यूरेशिया है । जो युरोप में आती है । उन्होंने कहा की संस्कृत भाषा और यूरेशियन भाषा में शब्दों के साथ वैदिक लोगो की शारीरिक और जैविक  रूप में भी एक समानता है । इन सभी बातोसे साबित होता है की वैदिक शास्त्र पूराण और संस्कृत भाषा लेकर भारत देश में आये है ।
२)बलीराजा: बलीराजा एक महान राजा थे । वह वैदिक को के चार वर्ण व्यवस्था के सबसे निचले मतलब निच वर्ण में आते थे । वह भारतीय होने के कारण वह वैदिक को के वर्ण व्यवस्था के सक्त खिलाफ थे । वह ना वर्ण को मानते थे ना वैदिको को मानते थे ना उनके देव धर्म ओर कर्मकाण्डों को मानते थे  । वे जानते थे की वैदिक लोगोने भारतीय पर आक्रमण किया है ईसीलिये वैदिक लोग भारतीय नही है । ईसीलिये वह भारतीय लोगो के शत्रू है । ईसीलिये बलीराजाने वैदिको पर जोरदार आक्रमण किया और उनको किडे मूंगीयो के समान रौंदा? इस बातसे साबित होता है की बलीराजा वैदिक धर्म के सक्त खिलाफ थे । ईसीलिये वह वैदिक को के एक नंबर के शत्रू बन चुके गये थे । बलीराजा वैदिको के रास्ते का काटा बन चुके थे । वैदिक लोगोने छडयंसे वाद विवादो में बलीराजा हराया और शब्द छल करके उनको शंभूक के समान सबके सामने मार डाला जिसे हम दिवाली रूप में बडे रोशनाई के साथ धुमधाम के साथ मनाते है । इस तरह वैदिकोने हमारे इस महान बलीराजा का माहान साम्राज्य नष्ट किया है । बलीराजा जनता में ईतने प्रिय थे की हम बली प्रतीपदा के दिन इस हमारे महान वंशज को बडे आदर के साथ याद करते है और हमारी मां बहनाये  कहती है "ईडापीड़ा टळो आणि बळीचे राज्य येवो" मतलब हमारे सारे दुख दर्द मिटाने के लिये सिर्फ बलीराजा का राज फिरसे आये । इसका मतलब हम आज भी वैदिके विरोधी है । उनके भेदभाव करने वाले वेद शास्त्रों के खिलाफ है ।
३)परशुराम: पंडित परशुरामने क्षत्रीयों का घोर विरोधी था । ईसीलिये पंडित परशुरामने एक नही दो नही पूरे २१बार क्षत्रियों को दौडा दौडाकर पिटपिटकर मार डाला है और पूरे पृथ्वी के सारे क्षत्रीय खत्म कर दिये है । ईसीलिये अब सिर्फ तीन ही वर्ण बचे है । और ओ है १)ब्राम्हण२)वैष्य और ३)शूद्र ईसके सारे सबूत पूराणो में मौजूद है । याद रखना बली एक राजा था । बलीराजा को वैदिक याने ब्राह्मणोने कपट नितीसे मारा बस आपको यही याद रखना है की बलीराजा एक राजा था और सिर्फ क्षत्रीय ही बन सकता था । और पंडित वामनने बलीराजा को मारा और पंडित परशुरामने सारे क्षत्रियों को मारा ।मतलब सारे क्षत्रियों के दुश्मन ब्राह्मण थे ।जिन्होंने हमारे विर पूर्वजो को कपट नितीसे मारकर हम शूद्र बनाकर ७५०० जातीयों में बाट दिया है जो द्रविड़ लोगो की मूल भारतीय कोम है । जिसका सिध्दा तालूक हर्रपा मोहनजोदड़ो सभ्यतासे है । और हम हमारा सही इतिहास ना ढुंढ सके इसीलिये ब्राह्मण लोगोने कपटसे पुंजाजी गोकुलदास मेघजी के परिवार के एक गुजराती व्यक्ति को मूसलमान बनाकर पाकिस्तान निर्माण किया गया है । और हमारी मूल सभ्यता हर्रपा और मोहनजोदड़ो को पाकिस्तान में डाल दिया है । हमें चिढ़ाने के लिये ब्राह्मणोने गाली तयार कि है । ओ गाली है इसको पाकिस्तान भेजदो या पाकिस्तानी कहा जाता है । भाई हमारी हमारी मूल सभ्यता पाकिस्तान में डालने यह बहोत बड़ा छडयंत्र है ।
४)शंभूक: शंभूक शूद्र था । मतलब परशुराम और वामन जैसे पंडितोंने हमारे पूर्वोजो का मारकर हमें ब्राम्हणोंने शूद्र बनादिया है । शूंभूक संस्कृत भाषा का अध्ययन कर रहा था । ईसीलिये वैदिक धर्म को खतरा पैदा हो गया था । वैदिक धर्म ना डुबे ईसीलिये मर्यादा पूरूषोत्तमने हमारे शंभूक का सर कलम कर दिया था । बली राजा को भी ऐसेही मार डाला था । ईसीलिये वैदिक धर्म और  उनके वेद ,शास्त्र ,पूराण हमारे कैसे हो सकते है ?
५) बृहद्रथ मौर्यों: बृहद्रथ मौर्यों यह सम्राट अशोक वंशज था । उसे पंडित पूष्यमीत्र सूंगने पीठ पिछे वार करके मार डाला था और सम्राट अशोक के साम्राज्य को खत्म कर दिया था ।हमारे राजा और माहापूरूषोके पिठ पिछे वार करके उनको मार डालना और भारत देशपर अपना अंकुश रखना यही निती है । जिसके हम शिकार है । ओ हमें धर्म के आडसे सदियाँ से मारते आये है । वैदिकोने खुदके बचाव के लिये आवतार संकल्पना प्रचलित करके हमें गुमराह किया है । ईस बात को समझना बहोत जरूरी है ।
६)संभाजी माहाराज: संस्कृत भाषा शिखना शूद्रो मना है । परशुरामने २१ बार पृथ्वी से सारे क्षत्रीय नष्ट करके पृथ्वी निक्षत्रीय करदी है । शंभूकने संस्कृत भाषा शिखने का प्रयास किया उसका सर कलम करदीयां गया । संभाजी महाराजने तो संस्कृत भाषा में "बुध्दभूषण " इस महान ग्रंथ की रचना की है और ओ भी बुध्द को अपना गुरू मानकर । याहा तो मनुस्मृती नुसार कई गुन्हे हो चुके है । संस्कृत भाषा शिखना,लिखना, पढना ,सून्ना और सूनाना ओ भी बुध्द को गुरू मानकर ,जिनके ब्राह्मण घोर विरोधी है । अरण्यकाण्ड में बुध्द की बहोत बूरी तरह निंदा की गई है ।
   यापर एक नही कई बाते एक जैसी है । नाम एक है १)वहा शंभूक यहा शंभू है ।  २)वहा संस्कृत अध्ययन ३) संस्कृत में लिखना ४)संस्कृत भाषा सूनना ५)संस्कृत भाषा सूनाना ६) अध्यापक बनना । इन सारी बातो के लिये मनुस्मृती में दंडसंहिता है । जिसका ईस्तेमाल शंभूक और शंभू माहाराज पर किया गया है ।
७)संत तुकाराम माहाराज: संत तुकाराम महाराजने वेद ,शास्त्र, पूराण ,वर्ण ,जातिवाद और ब्राह्मणो के खिलाफ जमकर लिखा ओर उसका प्रचार भी किया है । ईसीलिये सारे ब्राह्मण एक होकर संत तुकाराम महाराज को उनके गाथाओं के साथ इंद्रायणी नदी में डुबो दिया है ।
८)विठ्ठल मंदिर: विठ्ठल मंदिर पूरे माहाराष्ट्र का आराधना केंद्र है । यहा बडवे और उत्तपात सदियों से पूरोहित है । जो पंडित ब्राह्मण है । यह लोगो का कारनामा यह है की पंढरपुर के विठ्ठल मंदिर में जो तिर्थकुंड है । उस तिर्थकुंड में रोज अपना मूत्र विसर्जन करना और उस तिर्थकुंड का पानी तिर्थ के रूप में सारे वारकरी और भकतगनो को बेचना ,बाटना और पीलाना यह उनका दिनक्रम था । यह केस बहोत साल तक कोर्ट चला है ।
     कहने का तात्पर्य यह है की ब्राह्मण वर्णो के हिसाब से उच्च है वह सवर्ण है और बाकी बचे सब शूद्र और निच है । यह ब्राह्मण भी कहते है और उनके वैद शास्त्र और पूरान भी कहते है ।
"शूद्र पशू और नारी सकल ताडन के अधिकारी" (पंडित तुलसीदास दुबे)
मतलब शूद्र और नारी यह एक जानवर समान है । वह एक जैसे है । ईसीलिये ब्राह्मण उनके साथ जानवर समान व्यवहार बरता करता है ।
९) राष्ट्रपीता महात्मा फूले : माहत्मा फूले को शूद्र कहकर ब्राह्मण लोगोने उनको भरे बारातसे धक्के मारमारकर बारातसे बाहर करके अपमानित किया था । ईसीलिये उन्होंने "गुलामगिरी"इस महान ग्रंथ की रचना करके सारे बहूजनो को जगाया था ।
१०)शाहू महाराज: राजर्षी शाहू माहाराज का भी वैदिक अवैदिक के विधि के दरम्यान ब्राह्मणोने घोर आपमान किया था । क्योंकि भलाही शाहू माहाराज राजा हो पर वह वर्णोसे शूद्र है ।ईसीलिये ब्राम्हणोंने उनके साथ राजा होते हूये भी उनके संस्कार विधि दरम्यान एक शूद्र के जैसाही व्यावहार किया गया था । ईसीलिये उन्होंने ब्राह्मण को जेल में डाल दिया था । इसके बाद उन्होंने सारे बहूजनो को जगाया था ।
११)शरद पवार: देश की यह एक नामचीन छब्बी है । मुख्यमंत्री पद केन्द्रीय मंत्री पद तक पोंहचनेवाले यह एक असाधारण व्यक्तिमत्व है । लेकिन ब्राह्मण चुप बैठे वह ब्राह्मण कैसे? भरी सभा में एक युवक के माध्यम से छडयंत्रपूर्वक उनको मारा गया था । शायद लोग इस बातको भूलगये होंगे पर शरद पवार इस बातको और इस छडयंत्र को कैसे भूल सकते है? क्योंकि उनको ऐसी जगह पर मारा गया था जहापर एक ओपरेशन हूवा था और वहापर ओपरेशन का घाव भी था । कितना जी तिलमीलाया होगा ? यु मानो उनके लिये यह मनुवादियों का एक इशारा था ।
१२) आखिलेश यादव: आखिलेश यादव यु.पी.के मुख्यमंत्री बन गये थे । उनका जब कार्यकाल खत्म हूवा था और उनकी जगह पर भाजपा की नई सरकार आई तो भाजपा के लोगोने यह कहकर आखिलेश यादव की केबिन शुध्द कराई थी की आखिलेश यादव मुख्यमंत्री के खुर्शीपर बैठने की वजह से वह खुर्शी और उनका केबिन अपवित्र ,अशुद्ध और भ्रष्ट हूवा है ।ईसीलिये उसे गोबर गौमूत्र और गंगाजल से पवित्र और शुध्द कराया गया था । इस बातसे आप वैदिक ग्रंथों की काबीलियत समझो ?
१३)एकनाथ खडसे: एकनाथ खडसे एक मंत्री और मुख्यमंत्री पद से दुर रखने का एक मात्र कारण है । जो आपको इस संशोधन से पता चल गया होगा । जब बडे बडे राजा महाराजाओ को धाराशाही किया है तो खडसे तो उनके लिये एक साधारण व्यक्ति है । वैदिक समय आनेपर शूद्रो को अपने जगह का ऐहसास दिलाते है ।
१४)गोपीनाथ मुंढे: मुख्यमंत्री पद के असली दावेदार पर नही बन पाये समय के पहले अपनी गाडी को खरोच आने की वजह से समय से पहले चले गये । गलती ईतनी थी की ओबीसी की सही जनगणना और संख्या के अनुपात आरक्षण । पर ओबीसी को न्याय नही दे सके । शूद्रत्व उनके लिये एक काल बनके आया था ।
१५)छगन भूजबल: छगन भूजबल की गलती यह है की उन्होंने समता परिषद् के माध्यम से सारे देश में ओबीसी को जगाने का काम चीलू किया था । जो ओबीसी को जगायेगा वह सदियाँ से वैदिको का शत्रु रहा है तो छगन भूजबल वैदिको के मीत्र कैसे हो सकते है ?
१६)लालू प्रसाद यादव: लालूप्रसाद यादव ओबीसी के नेता । भ्रष्टाचार करेगा शर्मा और जेल में लालूप्रसाद ? ओबीसी एससी एसटी के याने शूद्र को और उसमें व्यवस्था के जानकार व्यक्तियों को किसी न किसी प्रकार से उनपर अंकुश रखने का यातो खत्म करने का या तो उध्दवस्थ कर देनेका यही वैदिको की आधुनिक निती है ।
१७)माता निर्मला यादव: अब आप लोगो के ध्यान में पूरा इतिहास आया होगा । शूद्र कौन है ईस बात का भी ऐहसास हूवा होगा । जो वेद ,शास्त्र और पूरानों में लिखा है । बस माता निर्मला उशी शृंखला की एक कडी है । पूणा में बस मेधा खोले बाईने माता निर्मला यादव को शूद्र होने का फिसे एकबार ऐहसास दिलाया है । माता निर्मल यादव मराठा हूई तो क्या हूई वह तो वर्णसे एक शूद्रही तो है । जब इतिहास से लेकर मुख्यमंत्री केन्द्रीय मंत्री इसमेसे नही छुटे है तो बाकीयों की तो गिनती ही नही है । पंडित मेधा खोलेबाई के भगवान माता निर्मला यादव के छुनेसे भ्रष्ट हूये है । क्योंकि निर्मला माता शूद्र है यह खोलेबाई के साथ वेद,शास्त्र और पूराण भी कहते है ।

(माहाआचार्य मोहन गायकवाड)

Wednesday 28 February 2018

( संघर्ष एक कहानी )

    यह कहानी है । एक गांव के एक गरीब परिवार के रोहित नामके एक डॉक्टर की । यह कहानी कोई सामान्य कहानी नही है । यह कहानी व्यवस्था से हर पिडीत विद्यार्थियों को कामयाबी हाशिल करने के लिये सदैव और निरंतर प्रेरित करती रहेगी ।
     हो सकता है यह किसीके जिवन के साथ मिलती जुलती हो पर आप जो भी सही सोचे । पर मेरा उद्देश्य किसीके कहानी से यह कहानी मिलाना जुलाना नही है । बस यह विषमतावादी व्यवस्था से हर एक व्यक्ति तथा विद्यार्थी को इस अमानवीय संगीन भेदभाव के कायरता से अवगत कराना है । जो मानसिक और शारीरिक तौरपर उध्वस्त कर देती है । बरबाद कर देती है । हो सकता है मेरे इस छोटेसे प्रयास से कई जिंदगीयां बच सकती है । और उनको नया जिवन मिल सकता है । नये पर्याय मिल सकते है । एक रोशनी मिल सकती है ।
   रोहित बचपन से ही एक असाधारण लड़का था । जो खेल कुद के साथ पढाई में भी बहोत होशीयार था । जो हर साल हर बार उँचे श्रेणियों में खुदको शामिल करता था । ईसीलीये वह दिल और दिमाग से ओरो की तुलना में काफी हट्टाकट्टा और शक्तिशाली था । जिसे देखकर हर कोई प्रभावित हो जाता था ।
     गरीब परिवार में जन्मे रोहितने बहोत सारे आर्थिक संकटों का समना किया है । साथ ही सामाजिक संकटों का नासूर भी समय समय पर बहोत परेशान करता था । फिर भी रोहितने हार नही मानी । क्योंकि रोहित के पास सामाजिक क्रांती के जनक फूले, शाहू ,आंबेडकर ,रोहीदास और कबीर के विचारों का बहोत बड़ा प्रभाव था । ईसीलिये रोहित एक लोहा बन चुका था । जो इस भेदभाव वाले व्यवस्था पर प्रहार पर प्रहार कर रहा था । वह हर जगह अपनी बात बिना हिचकिचाते और निडर बनकर रकग रहा था । शासन प्रशासन के नाक में रोहीतने दम करके रखा था ।
    हर साल एक नई कामयाबी सिडी हाशील करने वाला रोहित का बस डोक्टरी का एक आखरी साल ही बाकी था । यह आखरी पडाव पार करके वह अपने मां,बाप और भाईने जो आर्थिक और सामाजिक दुर्गम परिस्थितियों में साथ देकर रोहीत को इस मकाम पर पोहचाया था । उनके उपकारो को वह एक अच्छी नोकरी पकडकर उनको सूख और शांती देकर कम करना चाहता था ।पर इस भेदभाव करने वाले राक्षसी व्यवस्थाने रोहीत को उस मूकाम पर पोहचाया जिसमें रोहित और उनके परिवार के सारे सपने चकनाचूर हो गए । रोहित के ३० साल के मेहनत पर पानी फेर दिया ।और समाज को दिशा देनेकी काबिलियत रखनेवाले डोक्टर को एक खलनायक बना दिया ...
  भारत देश में एक सामाजिक व्यवस्था है । जो हर जाती को उसके जातिके स्तर को देखकर उनके साथ व्यवहार करती है । मतलब कौनसी जात (cast)कितनी निच है ? यह ऐ सामाजिक व्यवस्था तय करती है ।और उस जाती के साथ उस प्रमाण में अधिकार देती है । स्वतंत्र, समता और बंधुता वाली भले ही भारत में लोकशाही मौजूद है । पर वह सिर्फ कागजों के तुकडो पर ही सलामत है । बाकी मनुवादी हूकूमत सदियों से बरकरार है । इस मनूवादी व्यवस्था से जो भी टकरायेगा उसका रोहित ,एकलव्य, शंभूक,ब्रहृदत, संभाजी,मुंडे,पानसरे ,कुलबर्गी ,दाभोलकर ,निर्मला यादव बनना तय है ।

( लेखक : माहाआचार्य मोहन गायकवाड )
  

Monday 19 February 2018

ग्लोबल मार्केट कि दुनियां

   ग्लोबल मार्केट यह इस अधुनिक विकाशील और प्रगत विचारो कि आदान प्रदान कि यह नयी सोच और जरूरत भी है .ग्लोबल मार्केट के जरीऐ अधुनिक टेक्नालोजी के आदान प्रदान के साथ विचार और रहन सहन का भी एक ब्रिज बनता जा रहा है . जो दुनियां को करीब ला रहा है.  ग्लोबल मार्केट एक बहोत बडा पोटेंशियल है जो समय के साथ पैसा बचाता है और प्रचंड रूप में आर्थिक व्याप्ती को बढा रहा है .इंटरनेट टेक्जोलोजीने सारी सिमांओ को तोडकर देश कि सिमांओ को किताबो में  सिमित कर दिया है और नये नये मित्र को जोड रहा है . सारी तकनिकी ,कापडा और वस्तूऐं इंटरने के माध्यम से खरीदी और बेची जा रही है .व्यावसायों के नये नये दरवाजे खुल रहे है .नई पहचान हो रही है . नये रिस्ते बन रहै है . नये रोजगार निर्माण हो रहे हे . रिमोट और एक किल्क पर काम हो रहे है . सब व्यवहार एक स्मार्ट फोन के जरिये हो रहे है जिसे आप अपने जेब में लेकर घुम रहै है . आप भी इस तकनिक का फायदा उठा सकते है .जैसे ओनलाईन जोब,ओनलाईन मार्केटींग ,ओनलाईन सर्वे, डाटा ऐंट्री ,डिटीपी टाईपिंग,इंटरनेट ऐडवटायझिंग ,मैटोमोनी,ओनलाईन ओफलाईन कन्सेप्ट सेलिंग,कोनसिलिंग,एसीओ जोब,खुदका व्यावसाय बढाने के लिये नये ग्राहक ढुंडना ,इंटरनेट के माध्यम से अपना प्रोडक्ट सात समिंदर पार बेच सकते है . बस आपको इस नये तंत्रग्यान को अपनाकर अपने विचारोंका दायरा बढाकर दुनियां के साथ चल सकते है जिसके ईस्तेमाल से आप अपनी नई दुनियां निर्माण कर सकते है .
(लेखक: माहाआचार्य मोहन गायकवाड)

Saturday 10 February 2018

सरल जीवन

    सरल जीवन यह लाईन ही सबकूछ बया करती है । मानवी जीवन ना भूतकाल में सरल था ना वर्तमान में सरल है ना भविष्यकाल में सरल रहेगा । मानव समाज भलाही समाजप्रीय हो ईसीलिये वह समूह करके हजारो सालोसे अलग अलग समूह में अलग अलग भौगोलीक परस्थीती नुसार रहता आया है । जो आजके ईस अधुनीक युग में भी वह समूह के ईस सिध्दांत को बरकरार रखते हूये अपना जीवनग्यापन कर रहा है । जो मानव समाज का अपनी समष्याओंको कम करने का एक सामूहीक विचार है एक सोच है जो परंपराओके साथ जुडी है । समष्याओको कम करने के लिये ही परंपराओं का निर्माण हूवा है । याद रहै धार्मिक या सामाजिक परंपराऐं जादा पैमानेपर जादा लोग सामूहीक रूप में या उत्सव के रूप में मनाते है ईसीलिये वह सही होगी ऐसा कहना 100% सही कहना 100% गलत होगा । भारत देश में दिवाली जैसे तौहार बडे पैमानेपर मताया जाता है । इस उत्सव के दरम्यान बडे पैमानेपर फटाखोकी आतिष्यबाजी होती है । ईस ईस फटाखोकी वजहसे जो प्रदुषण होता है वह भयानक होता है । ईस समय भारत की राजधानी का प्रदुषण स्तर एकदम भयानक रूप में बढ डाता है । जीसकी वजहसे सारे दिल्ली वासीयोंका दम घुट जाता है । सासे लेनेमें तकलिफ होती है । सासे सासेफूलने लगती है । तो आप सोचो की ईस प्रदुषण की वजहसे कितनी बिमारीयां फैती होगी ?
    होली यह और एक सामूहीक रूप में भारत देश में मनायाजानेवाला और एक उत्सव है । जीसमें बडे आस्थाके नामपर पेड काटकर जलायें जाते है । जिसकी वजहसे पूरे देशमें धुवां ही धुवां हो जाता है और जादा मात्रामें लकडीयां जलाने की वजहसे देश का तापमान झटसे बढ जाता है । जो यहा के मौसमपर और लोगोके स्वास्थ को नुकसान पोहचाता है ।
     तो क्या आस्थाके रूप में मनायेजानेवाले सामुहीक परंपरायें या तौहार सही है ? क्या मानव जाती के भले की है ?

( लेखक : माहाआचार्य मोहन गायकवाड )

पाली भाष्या एक रुप अनेक

असे म्हणतात कि सगळ्या भारतीय भाषेची जननी ही संस्कृत भाष्या आहे.याचा प्रचार साहीत्य ,श्याळा,कॉलेज,कथा,कादंबर्या, किर्तन ,नाटक ,सिनेमा ,आध्या...