मेरे प्यारे भारतवासीयों आपको अज्ञान अधंकार से बाहर निकलना है तो आपको अपने इतिहास और अपने भारतीय वीरों के बारेमें जानकारी होना बहोत जरूरी है । भारतीय लोगो को अपना सही इतिहास पता नही होने के कारण उनपर विदेशी आक्रमण हूये है और हम द्रविड़ लोग उस आक्रमण का शिकार हूये है । परिणाम स्वरूप हमारी हज़ारों सालों कि गुलामी आज भी बराबर है । अगर इस गुलामी को नष्ट करना है तो इतिहास कि जड़ें धुंडना भूमिपुत्रों के जीवन का एक अहमं हिस्सा होना चाहिए । वर्णा शास्त्रो के आधार पर हमें और भी नचाया जायेगा और हम हमारे ही भाईयों के साथ भाईचारे के बजाय अपना संबंध बिघाडते रहेंगे और अपनी गुलामी को पहचान भी नही पायेंगे ।
मेरे भूमिपुत्र भाईयों को म्हैश्यासूर इस हमारे महान राजा का महान इतिहास आज भी पता नही है । हमारे इस महान राजा का इतिहास बली राजा से कम नही है ।वामन नाम के किसी विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा जैसे हमारे महान राजा बली कि जिस प्रकार कपट से हत्या हूई है ,बस वैसे ही हमारे ईस माहान राजा म्हैश्यासूर कि भी एक सामान्य महीला द्वारा कपट से हत्या करदी गई है और उस महीला कि महीमा मंडीत करदी गई है । जिसका नाम म्हैशासूर मर्दिनी रखा गया है । जिसकी हम दिनरात पूजा करते है ।
जैसे कि आप जाते है कि भारत का इतिहास यह आर्यों अनार्यों के बिच का एक शक्तिशाली संघर्ष है जो हजारों सालो से चलता आ रहा है जो आज भी जारी है । भारतीय भूमिपुत्रों को वैदिक आर्य कपट नितिसे मारते है ईसके कुच्छ ताजे उदाहरण आपके सामने प्रस्तुत है । गोविन्द पानसरे ,कुलबर्गी ,गौरी लंकेश इतिहास में ऐसे लाखो उदाहरण आपको मिलेंगे जिन्होंने वैदिक लोगो के साथ सामाजिक ,शैक्षणिक ,सांस्कृतिक ,राजकीय, भौगोलिक और धार्मिक संघर्ष किया है । इस संघर्ष में वैदिक लोगोने द्रविड़ याने भारतीय लोगो को कपट निती से ठिकाने लगा दिया है । वैसेही हमारे इस महान राजा कि हत्या करदी है । आज हम उस हमारे माहापराक्रमी राजा के हत्या के दिन को नौ दिन तक चले इस हत्या के दिन को एक उत्सव के रूप में मनाते है ।
हम हमारा इतिहास हमारे ही हातो से नष्ट कर रहे है यह बातको हम भारतीय लोग जानते नही है ।
याद करो उस चानक्या कि कसम को । "जब तक नंदकुल का नाश नही करूंगा तब तक मै अपनी शीखा कि गांठ नही बांधुगा " नंदकुल (वंश) क्या मूस्लिम वंश था? नही ना । तो क्यों नंदकुल को चानक्याने खत्म करदिया है ? याद रहे नंदकुल यह भारतीय और द्रविड़ वंश था जिसका संघर्ष वैदिको से हूआ था ।जिसमें वैदिक लोगो का बहोत बड़ा नुकसान हूआ था । जो लोग वैदिको से संघर्ष करते है ऊनको वैदिक लोग साम ,दाम ,दंड और भेद नितीसे खत्म कर देते है । राजा म्हैश्यासूर ईसका एक उत्तम उदाहरण है ।
( माहाआचार्य मोहन गायकवाड)
Tuesday 26 September 2017
माहापराक्रमी माहाराजा म्हैश्यासूर
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