Friday 8 September 2017

पापी व्यक्ति के लक्षण ।

  जहा नैतिक मूल्यों का पतन होता है वहा सामाजिक स्वास्थ्य बिगड़ जाता है । और जहा सामजिक स्वास्थ खराब है वहा समाज का पतन होता है । ईसीलिये नैतिक मूल्य पर मानवी समाज का स्वास्थ और अस्तित्व टिका है । जहा नैतिक मूल्यों का अभाव होता है वहा मानव एक पशू के जैसे व्यावहार करता है । उसके अंदर का इन्सान मर जाता है और वह अमानवीय व्यावहार करने लगता है । ईसीलिये नैतिक मूल्य मानव होने के लक्षण है । जिनके पास नैतिक मूल्य नही है समझो वह मानव के रूप में एक दानव है । मनपर बगैर नैतिक मूल्यों से काबू पाना महाकठीण काम है ।वह कब अपना भयंकर रूप कब धारण करेगा ईसका कोई भरोसा नही है ।
  मानव के रूप में दानव को पहचानने का एक आसान तरीका है । ईसीलीये यह सभीको अवगत होना मानव जाती के हितों में है ।हो सकता है कि आप भी उनमें से एक है ? लेकिन आप ईस बात से परिचित नही है । हो सकता है यह सत्य जानने के बाद आप भी बदल जाओगे और एक मानव बन जाओगे ।
   इन्सान में अग्यान होने के कारण वह अपने मार्ग से भटक जाता है । वह जब सत्य मार्ग से भटक जाता है तो उसे दुष्कर्म अपनी ओर खिंचते है । वह व्यक्ति को सत्य मार्ग का पता ना होने के कारण वह दुष्कर्म को हि सत्य मार्ग समझ बैठता है और फसता जाता है ।वह दुष्कर्म में ईतना अधिन हो जाता है कि वह एकदम दिमागी से अंधा बन जाता है ।वह पापो के पहाड़ बनाता है ।अन्त में उसे पिडाये घेर लेती है और उसका तन मन यातनाओं से जरजर होता है जिसे नरक यातना कहा जाता है ।कर्म सिंध्दांत कहता है कि आपने जो भले बूरे कर्म किये है उन सभी कर्मों का परिणाम चाहे देरसे क्यों ना हो लेकिन आता जरूर है । भले कर्मों का भाला परिणाम और बूरे कर्मों का बूरा परिणाम आता जरूर है । जैसे मिठे आम के पेड़ को मिठे आम आते है और खट्टी ईमली के पेड़ पे खट्टी ईमली । अगर आपने आम खाये है आपके लिवर खराब नही होंगे क्योंकि लिवर खराब शराब सेवन से होते है आम से नही ।मतलब जैसी करनी वैसी भरनी ऐसा हिसाब होता है। ईसीलिये याद रहे कि दुष्कर्म करना इन्सानों का काम नही है । यह काम हैवानो का है दानवों का है ।ईसीलिये आपको दानव और मानव के कार्यो का पता होना बहोत जरूरी है ।तभी तो आपको मानव और दानव में का फरक समझमें आयेगा ।नही तो आप आपके साथ रहने वाले दानव को भी समझ नही पाओगे और मानव को भी ।
   आपने जो दानव का काम किया है । जो पाप किया है वह किसी भी नदिमें नाहाने से पूजा आर्च्या से कर्मकांड से यग्ययाग से भग या पशू बली से या चढावे से कभी भी धुलता नही है । वर कम होने के बजाय और बढता है । जैसे आप अगर कोई कक्षा में फेल हूये है और आपने पोस्ट ग्रेजुएट कि शिक्षा अच्छे मार्क के पास किया है फिर भी आपका पांचवीं फेल का धब्बा जिंदगी भर आपके साथ रहता है बस पाप पूण्य का खेल भी ऐसाही है । पाप का धब्बा आप कोई कर्मकाण्ड करके धो नही सकते है ।ईसीलिये आप पहले ही सजग हो जाईयेगा ।
   ईसीलिये आप यह तथागत बुध्द के पांच तत्व का अंगिकार कर सिर्फ मानव हि नही एक उच्च मानव भी बन सकते है ।
१) आपको किसी भी प्रकार का अपने काया ,वाचा और मन से हिंसा भरा काम नही करना चाहिए क्योंकि हिंसा करना मानव का काम नही है ।
२) आपको किसी भी प्रकार कि अपने काया ,वाचा और मन से कोई भी प्रकार कि चोरी नही करनी चाहिए  ।
३) आपको किसी भी प्रकार का अपने काया,वाचा और मन से व्याभिचार नही करना चाहिए क्योंकि आप इन्सान है पशू नही है।
४) आपको किसी भी प्रकार का अपने काया ,वाचा और मन से झुठा काम या झुठी वाणी का ईस्तेमाल नही करना चाहिए ।
५) आपको किसी भी प्रकार का अपने काया ,वाचा और मन से नशापान नही करना चाहिए । क्योंकि नशापान करना दानव का काम है इन्सान का नही ।
जब तक आप यह पांच बातें अपने में उतारकर कार्य नही करते है तो आपका इन्सान बनना संभव नही है ।
(माहाआचार्य मोहन गायकवाड)
   

No comments:

Post a Comment

पाली भाष्या एक रुप अनेक

असे म्हणतात कि सगळ्या भारतीय भाषेची जननी ही संस्कृत भाष्या आहे.याचा प्रचार साहीत्य ,श्याळा,कॉलेज,कथा,कादंबर्या, किर्तन ,नाटक ,सिनेमा ,आध्या...