Friday 8 September 2017

आपके अधिकार और सरकार

   भारत देश कि जनता को भारत के संविधान ने कुछ मौलिक और कुछ नैतिक अधिकार दिये है ।कायदे मंडल ,न्याय मंडल तथा कार्यकारी मंडल इन तीन संस्था को भारतीय संविधान के दायरे में रहकर भारतीय लोगो को न्याय दिलाने के लिये अपना कार्य करना पड़ता है । पर क्या ऐसा हो रहा है ? अगर आपको अपने अधिकार चाहिए तो आपको इन तीनो संस्था के अधिकार और कर्तव्य अवगत होना जरूरी है । तभी आपके समझ में आयेगा कि कौन संविधान के दायरे में रहकार कार्य कर रहा है और कौन दायरे के बाहर ?
भारत देश के संविधान ने दोनो सदनो को संविधान के दायरे में रहकार और जनता के मौलिक आधिकार को छोड़कर नये कायदे बनाने कि अनुमति दि है । जनता को अन्न ,वस्त्र, निवारा, शिक्षा, रोजगार ,आरक्षण और अभिव्यक्ति स्वातंत्र्य को अबाधित रखते हूये दोनो सदनों को कानून बनाने कि अनुमति भारतीय संविधान ने दि है । तो क्या भारतीय जनता के साथ दोनो सदन न्यायपूर्ण कार्य कर रहे है ? अगर आपको न्याय नही मिल रहा है तो समझो सरकार संविधान के और जनता के साथ धोखाधड़ी कर रही है ।जिसे भारतीय संविधान नुसार देशद्रोह कहा जाता है क्योंकि दोनो सदनों के प्रतिनिधियों ने राष्ट्रपति के समक्ष संविधान के दायरे में रहकार कार्य करने कि शपथ खाई होती है।अगर यह प्रतिनिधि संविधान के विपरीत कार्य करते है तो यह जनता के साथ धोखाधड़ी है ।सत्ता में बैठे पक्ष विपक्ष में वैचारिक मतभेद हो सकते है ईसका मतलब यह नही है कि आप पूर्वग्रह के साथ भारतीय जनता के साथ अपने तरिके से भेदभाव करके उनपर अपने आधिकार का गैर ईस्तेमाल करें । जनता तो ईलेक्शन में लालच देकर ईलेक्शन जितना और उसके पश्चात विपरीत कार्य करना गलत है ।जनता के साथ भेदभाव करके अपने कुच्छ खास लोगो को फायदा पहूचाना और कुच्छ लोगो के अधिकार छिनना और उनको आधिकारो से वंचित करना ईसे शासन नही कहा जा सकता है । यह तो धोखाधड़ी है ।जब जनता किसी पक्ष को सत्ता में बिठाती है तो तब सत्ताधारी पक्षने बिना भेदभाव से समग्र जनता का विकास और आधिकार का विचार करना चाहिए जो देश कि अखंडता को अबाधित रखता है । क्योंकि भारतीय संविधान निरपेक्षता का समर्थक है जो बिना भेदभाव से देश के हर व्यक्ति के आधिकार के रक्षा का समर्थन करता है । और देश के हर व्यक्ति के आधिकार के रक्षा का सरकार का दाईत्व है ।
  कायदे मंडल कार्यकारी मंडल और न्याय मंडल ने बिना भेदभाव से जनता के साथ निरपेक्षता से उनके आधिकार और न्याय कि रक्षा करनी चाहिए । तभी देश मे सामाजिक शैक्षणिक आर्थिक रूप में सभी देशवासियों को न्याय मिलेगा और परिणाम स्वरूप देश का सभी  प्रकार का और सही विकास होगा ।
  अपने देश का सभी प्रकार का विकास तभी संभव होगा जब यह तीनों संस्थाऐ देश के हर व्यक्ति को देश संपत्ति का दर्जा देकर उनके पालन, पोषण, संगोपन और विकास कि जिम्मेदारी उठायेगी ।विश्व भर में जिन राष्ट्रोने यह सिंध्दांतों अपनाया है आज वह राष्ट्र प्रगत हो गये है । और अपने देश में सरकार में बैठे लोग भेदभाव करने वाले होने के कारण जाती, धर्म, वर्णभेद के समर्थक होने के कारण कर्मकाण्ड दैववाद धर्म वाद ईश्वर वाद और जातीवाद फैलाने पर अधिक शक्ति खर्च करती है । जिसके कारण सरकार कि सारी शक्ति और धन विकास और संशोधन के बजाय आस्था के नामपर नदियाँ पहले गंदी करने में खर्च होती है फिर उसे साफ में ।
   ईसीलिये भारत देश विश्व के विकास के दृष्टि से बहोत पिछे है ।
(माहाआचार्य मोहन गायकवाड)
 
  

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